अभिनंदन जिनराज का,
आनंद कूट है जेह ।
मन वच तन कर पूजहूूँ,
शिखर सम्मेद यजेह ।।
ओं ह्रीं श्री अभिनंदन नाथ जिनेंद्रादी मुनी ७२ कोड़ा कोड़ी ७० करोड़ ३६ लाख ४२ हजार ७०० मुनी इस कूट से मोक्ष गये तिनके चरणारबिंद को मेरा मन वचन काय से मेरा बारंबार नमस्कार हो ।